श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद मामले में दायर याचिका पर सुनवाई आज बुधवार को सिविल जज छाया शर्मा की अध्यक्षता में होने वाली है, श्री कृष्ण विराजमान एवं अन्य सात अन्य के तरफ से 25 सितंबर को याचिका दायर की गई थी, आज के दिन अदालत याचिका दायर करने वाले तर्क कारों के पक्ष को सुनेगी, इसके बाद अदालत के तरफ से यह तय किया जाएगा कि आगे इस मामले की सुनवाई हो अथवा नहीं?
श्री कृष्ण विराजमान एवं 7 अन्य के तरफ से याचिका में कहा गया है कि उन्हें श्री कृष्ण विराजमान की 13.37 एकड़ जमीन में मालिकाना हक दिया जाए तथा शाही ईदगाह को वहां से स्थानांतरित किया जाए, दायर याचिका में श्री कृष्ण विराजमान एवं शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताया गया है। आपको बता दें कि श्री कृष्ण विराजमान एवं शाही ईदगाह के बीच 1968 में समझौता हुआ था, समझौते के अनुसार शाही मस्जिद जितनी जमीन में बनी है सर्वदा बनी रहेगी लेकिन नई याचिका में श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से कहा गया है कि यह समझौता गलत है यह जमीन भगवान श्री कृष्ण की है इसलिए यहां से मस्जिद को हस्तांतरित कर श्री कृष्ण विराजमान की जगह हमें दी जाए।
औरंगजेब के शासनकाल में बनी थी शाही मस्जिद ।
सन 1670 में औरंगजेब ने मंदिर के आंशिक ढांचे को क्षतिग्रस्त कर मस्जिद का निर्माण करवाया था, इतिहासकारों के अनुसार 5 April 17 70 में गोवर्धन में मराठा और मुगलों के बीच घोर संग्राम हुआ था, जिसमें मराठा की विजय हुई थी, तत्पश्चात मराठा ने कटरा में मस्जिद को तुड़वा कर भगवान केशव के मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था,जिसके बाद 1803 इस्वी में अंग्रेजो के द्वारा इस पूरे इलाके पर कब्जा कर लिया गया था ।1815 में इस विवादित संपत्ति(जमीन) को वाराणसी के राजा पटनिमल ने नीलामी के दौरान खरीद लिया था ।फिर 1951 इस्वी में श्री कृष्ण जन्मभूमि का ट्रस्ट बनाया गया जिसके बाद पटनी मल के परिवार ने यह 13.37 एकड़ जमीन को श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को दान में दे दिया।
1968 श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और शाही ईदगाह प्रबंधन कमेटी में संधि हुई की जितने जमीन में मस्जिद है बनी रहेगी, फिर इस संधि को दोनों पक्षों के तरफ से स्वीकार कर लिया गया था।