नवरात्रि के अंतर्गत दुर्गा अष्टमी के दिन माता गौरी की पूजा की जाती है माता गौरी सदा ही अपने भक्तों पर दया बनाए रखती हैं, शास्त्रों में उल्लेख किया गया है नवरात्रि के आठवें दिन शक्ति स्वरूपा माता गौरी की आराधना एवं उपवास किया जाता है इस दिन व्रत पूजनोपरांत नौ कन्याओं को हलवा और पूरी खिला देने मात्र से ही माता गौरी अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी करती हैं दुर्गा सप्तशती में उल्लेख किया गया है कि अष्टमी के दिन कलश स्थापन करके जो कोई भक्त निम्न मंत्र से ।। या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता: नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। मंत्र का 108 बार जप करता है उसके घर में दरिद्रता कभी भी प्रवेश नहीं करती है।
महागौरी का पूजन कैसे करें?
दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह 4:00 बजे उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर घर में विधि विधान सहित पूजन करना चाहिए सर्वप्रथम कलश स्थापन करके घी का दीपक जलाकर गौरी एवं गणेश का भी आवाहन करना चाहिए इसके बाद पंचोपचार विधि से महागौरी का पूजन कर उनको नैवेद्य में मखाना, छोहाड़ा एवं नारियल का प्रसाद अर्पित करना चाहिए, तत्पश्चात माता गौरी की आरती करनी चाहिए, बाद में 9 कन्याओं को हलवा एवं पूरी खिलाकर चुनरी एवं दक्षिणा भी देना चाहिए ! दुर्गा सप्तशती के अनुसार जिसको जिस प्रकार का फल एवं आशीर्वाद चाहिए उन भक्तों को नीचे दिए गए निम्न मंत्रों का कम से कम १०८ आवृत्ति जप करना चाहिए ।
रोग शांति हेतु मंत्र
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥
धन एवं सौभाग्य प्राप्ति हेतु मंत्र
देहि सौभाग्य आरोग्यं, देहि में परमं सुखम ।रूपम देहि जयम देहि, यशो देहि द्विषो जहि ।।
शुशील पत्नी प्राप्ति हेतु मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम् ,तारिणींदुर्ग संसारसागरस्य कुलोभ्दवाम्।।