असम {Assam} Flood News: असम में इस बाढ़ का भीषण तांडव जारी है,असम की बराक घाटी इस समय सब से ज्यादा बाढ़ की त्रासदी झेल रही है,सोमवार से ही जलमग्न है. लोगों को बार-बार बिजली कटौती के अलावा भोजन एवं पेयजल की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. सिलचर के लोकसभा सदस्य राजदीप रॉय ने गुरुवार को कहा कि सिलचर में पिछले सात दशकों में यह सबसे भीषण बाढ़ है.ऐसी बाढ़ की त्रासदी हमने पहले कभी नहीं देखी है,असम में सोमवार से ही बाढ़ की भीषण तांडव जारी है,राजदीप रॉय ने कहा कि हम लोग और एनडीआरएफ की टीम लोगों की सहायता के लिए जुटी है,यहां बाढ़ से बिजली व पेयजल आपूर्ति पूरी तरह से ठप है,हम लोग लोगों को मेडिकल,पेयजल और भोजन की व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु युद्ध स्तर पर डेट हुए हैं,हमारे मुख्यमंत्री हेमंत विश्वा शर्मा भी लगा तार हवाई सर्वेक्षण कर लोगों को सभी मूलभूत सुविधा मुहैया करवा रहे हैं ।
राजदीप रॉय ने आगे कहा की बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित बराक घाटी के तीन जिले कछार, करीमगंज और हैलाकांडी गंभीर बाढ़ की चपेट में हैं. बराक और कुशियारा नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं जिससे छह लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं. कछार जिले के 565 गांवों में 2,32,002 और करीमगंज के 469 गांवों में 2,81,271 लोग प्रभावित हैं.
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने लगभग तीन लाख की आबादी वाले नगर का हवाई सर्वेक्षण किया और कुछ राहत शिविरों का दौरा किया. उन्होंने बृहस्पतिवार को जनप्रतिनिधियों और जिला अधिकारियों के साथ मौजूदा बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की. सिलचर शहर की दस वर्षीय श्रेया दास को पिछले हफ्ते राहत मिली थी जब कछार जिला प्रशासन ने लगातार बारिश के बाद स्कूलों को बंद करने की घोषणा की. लेकिन कक्षा चार की छात्रा को उस समय यह अनुमान नहीं था कि उसके परिवार को अगले कुछ दिनों में किस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.
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बेटकुंडी एक बांध के छतिग्रस्त हो जाने से श्रेया और शहर के अधिकांश इलाकों में बाढ़ की भीषण तबाही देखने को मिली, देखते देखते 3लाख से ऊपर लोगों के घर डूब गए कुछ कच्चे घर भरभरा कर गिर गए गनीमत ये रही की इसमें किसी की जान नही गई, बांध टूटने के बाद पानी इतनी तीव्र गति से कस्बों में प्रवेश किया कि बिजली के कई पोल्स छतिग्रस्त हो गए जिससे बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई और बाढ़ प्रभावित लोग क्षेत्र से निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं. कॉलेज रोड क्षेत्र की स्कूल शिक्षक मंदिरा देब ने कहा, ‘‘चार दिनों से, हम बिजली और पीने के साफ पानी के बिना हैं और बाढ़ का पानी मेरे घर में घुस गया है, जिससे हमें ऊपरी मंजिलों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. कम से कम, हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास तीन मंजिला घर है और हम घर के भीतर सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं.
बारिश की त्रासदी कुछ कम न थी कि इतने में बांध ने भी बाढ़ का साथ दे दिया,हुआ कुछ यूं की अति वृष्टि होने के बाद नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा था, बांध के टूट जाने के बाद तबाही का भीषण मंजर देखने को मिला,बराक नदी का जलस्तर खतरे के सीमा को पर कर दिया है जिसके फलस्वरुप सोनाई रोड, रंगीरखरी, लिंक रोड, अंबिकापट्टी, आश्रम रोड, कॉलेज रोड, पब्लिक स्कूल रोड, फाटकबाजार, बेटकुंडी और शहर के अन्य क्षेत्रों के निचले इलाकों में घुस गया. कछार में 33,766 लोगों ने 258 राहत शिविरों में शरण ली है जबकि करीमगंज में 20,595 लोग 103 राहत शिविरों में हैं.शहर में रहने वाले अधिकांश लोगों को भोजन,पानी,और मेडिकल संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है,लोगों को कोई दिक्कत ना हो सभी को आवश्यक मूलभूत सुविधाएं मिलें,इसके लिए भारतीय वायु सेना भी युद्धस्तर पर तत्पर है,भारतीय वायु सेना हेलीकॉप्टर के माध्याम से लोगों तक राहत पैकेज पहुंचा रही है.कछार की उपायुक्त ने लोगों से आग्रह किया की भोजन आदि के पैकेज लेने के लिए छत पर ना जाएं क्यूंकि ढलान वाली छतों पर पैकेज फेकने से वह फट सकता है,पैकेज सिर्फ सपाट छत पर ही गिराए जाएंगे इसलिए पैकेज लेने के लिए सपाट छत वाले पड़ोसियों से संपर्क करके पैकेज को प्राप्त करें ।
उपायुक्त ने आगे कहा कि लोगों तक दवाइयां, भोजन, पानी जैसे सुविधा मुहैया कराने हेतु अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं जिनको पूरा करने के लिए हम तत्पर हैं.बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए वायुसेना,एनडीआरएफ व स्थानीय पुलिस बल की सहायता ली जा रही है ।
असम के इस बाढ़ त्रासदी पर पीएम मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार असम में स्थिति की लगातार निगरानी कर रही है और इस चुनौती से निपटने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है।